सपा में शामिल हुईं सुप्रिया ऐरन, अखिलेश ने कैंट से घोषित किया उम्मीदवार, भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं, जानिये कैसे

125 बरेली कैंट विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मेयर सुप्रिया ऐरन ने मास्टर स्ट्रोक खेल कर सभी को हैरान कर दिया है। कल तक कांग्रेस के लिए वोट मांग रहीं सुप्रिया ऐरन आज अपने पति और पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन के साथ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गई हैं। वहीं, सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने उन्हें सपा में शामिल कराने के साथ ही उन्हें बरेली कैंट विधानसभा सीट से उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है।
सुप्रिया के शामिल होने के बाद भाजपा प्रत्याशी संजीव अग्रवाल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। अब तक एकतरफा जीत की तरफ बढ़ते नजर आ रहे संजीव अग्रवाल के सामने अब सुप्रिया ऐरन सबसे बड़ी दीवार के रूप में नजर आ रही हैं।
दरअसल, कांग्रेस में रहकर सुप्रिया वोटकटवा की भूमिका में नजर आ रही थीं लेकिन उनके सपा में शामिल होते ही सपा का पलड़ा भारी नजर आने लगा है। इसकी सबसे बड़ी वजह सपा का मुस्लिम वोट बैंक और सुप्रिया का हिन्दू वोट बैंक है। सुप्रिया ऐरन के साथ लगभग 15-20 हजार ऐसा हिन्दू वोट बैंक है जो थोड़ा सा प्रयास करने पर उनके साथ आसानी से आ जाता है। इस वोट बैंक में सपा का मुस्लिम वोट बैंक और बसपा से सपा में आने वाला दलित और पिछड़ा वोट बैंक मिल जाएगा तो सुप्रिया की जीत सुनिश्चित हो सकती है। अब भाजपा को पूरा फोकस हिन्दू वोट बैंक पर करना होगा क्योंकि मुस्लिम वोट फिलहाल न तो उसे मिलता नजर आ रहा है और न ही सपा से टूटता दिखाई दे रहा है। बताया यह भी जाता है कि टिकट कटने के नाराज भाजपा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल के समर्थक भी सुप्रिया ऐरन का समर्थन कर रहे हैं। ऐरन परिवार का यह दांव बरेली की सियासत की पूरी तस्वीर ही बदलता दिखाई दे रहा है। सुप्रिया के आने से शहर विधानसभा सीट पर भी सपा को फायदा मिल सकता है। सपा में टिकट के दावेदारों की नाराजगी से जो बगावत का डर पैदा हो रहा था वह सुप्रिया की एंट्री के साथ ही लगभग खत्म होता नजर आ रहा है। अगर किसी दावेदार को टिकट मिलता तो नाराजगी बगावत का रूप ले सकती थी लेकिन अब दावेदारों के समर्थकों में उत्साह है। उन्हें अब कैंट सीट पर सपा की जीत की उम्मीद दिखाई दे रही है। बता दें कि प्रवीण सिंह ऐरन कैंट सीट से ही विधायक भी रह चुके हैं। हालांकि, कांग्रेस अगर इस सीट से नवाब मुजाहिद हसन जैसे किसी दिग्गज मुस्लिम नेता को मैदान में उतारती है तो भाजपा को फायदा मिल सकता है। बहरहाल, कैंट का मुकाबला सिर्फ सपा वर्सेज भाजपा हो गया है। इस महासंग्राम में अब कांटे की टक्कर होना तय है। ऐसे में किसी भी एक दल की जीत का अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है।