ढहा दी गईं भ्रष्टाचार की इमारतें-

नोएडा में भ्रष्टाचार की इमारत गिरा दी गई है। तय समय पर सायरन बजने के साथ ही सुपरटेक ट्विन टावर में विस्फोट हुआ और कुछ ही सेकेंड में बिल्डिंग जमींदोज हो गई। दूर तक धमाके की आवाज के साथ धूल का गुबारा फैल गया। दोनों इमारतों ताश के पत्तों की तरह से बिखर गई।
दोपहर में 2 बजकर 29 मिनट पर नोएडा के सेक्टर 93ए स्थित सुपरटेक ट्विन टावर्स में ब्लास्ट के लिए तय समय पर ही धमाका हुआ। सायरन की आवाज के बीच अचानक से हर एक फ्लोर पर ब्लास्ट हुआ और ऊपर से लेकर नीचे तक दोनों ही इमारत भरभरा कर गिर गई। चारों तरफ धूल का गुबार फैल गया। इस तरह से देखते ही देखते भ्रष्टाचार की इमारत जमींदोज हो गई।
गौरतलब है की टावर्स को 15 सेकंड से भी कम समय में 'वाटरफॉल इम्प्लोजन' तकनीक से ढहाया गया है। फिलहाल कहीं से किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है। धूल का गुबार हटने के बाद ही आसपास की इमारतों की जांच होगी और यह देखा जाएगा कि क्या कहीं नुकसान भी हुआ है। इन इमारतों को पहले ही खाली करा लिया गया था। आसपास की सड़कें भी पूरी तरह बंद थीं और लॉकडाउन के बाद पहली बार इस तरह का सन्नाटा इलाके में देखा गया। नोएडा एक्सप्रेस-वे पर भी यातायात रोक दिया गया था।
सुपरटेक के ट्विन टावर्स ध्वस्त होने के बाद ऐसा माना जा रहा है की धूल अगले तीन से चार दिनों तक लोगों को परेशान कर सकती है। इससे बचने के लिए बच्चों और बुजुर्गो को मास्क लगाने की जरूरत पड़ेगी। दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विपुल सिंह के मुताबिक, इमारत गिरने के बाद दो तरह की धूल हवा में उड़ेगी। धूल के मोटे कण तुरंत जमीन पर गिर जाएंगे लेकिन जो छोटे-छोटे कण होंगे वह हवा में लम्बे वक्त तक रहेंगे क्यूंकि हवा भी चल रही है।
टावर ढहाने वाली एडिफाईस एजेंसी ने टावर ढहाने के लिए करीब 3700 किलो विस्फोटक बिल्डिंग में लगाया था। टावर कंट्रोल ब्लॉस्ट के जरिए ढहाए गए। मलबा आस-पास न बिखर कर सामने की तरफ गिरे इसके लिए 'वाटर फाल इम्पलोजन कोलैप्स मकैनिज्म' पर ब्लॉस्ट डिजाइन तैयार की गई थी। इसमें मलबा झरने की तरह निश्वित खाली पड़ी जगहों पर गिरा है।
ट्वीन टावर ढहाए जाने की चर्चा 31 अगस्त 2021 को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शुरू हो गई थी। फिर बिल्डर की तरफ से दायर की गई रिव्यू याचिका खारिज होने के बाद तय हो गया था। टावर ढहाने से पहले एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसायटी सुबह 7 बजे ही खाली करवा दी गई थी। इसके साथ ही सेक्टर-93 ए की तरफ आने वाले शहर के सभी रास्ते ट्रैफिक पुलिस ने बंद कर दिए थे। नोएडा-ग्रेनो एक्सप्रेस-वे पर भी टावर ढहने के 15 मिनट पहले करीब 2.15 बजे ट्रैफिक रोक दिया गया था।
क्या रही ट्वीन टावर गिराने के वजह ?
1. नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों की अनदेखी कर टावर को मंजूरी मिली थी।
2. दोनों टावर के बीच की दूरी 16 की बजाय सिर्फ 9 मीटर रखी गई।
3. टावर वहां बने जहां ग्रीन पार्क, चिल्ड्रन पार्क और कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स बनने थे। इससे घरों में धूप आनी बंद हो गई थी।